उन दो आंखों के बीच में बिंदी

girl bindi poem


❝ आँखों में थोड़ा काजल और
उन दो आंखों के बीच में एक छोटी सी बिंदी ❞


ज्यादा सजती-संवरती नही थी
पर मेरे कहने पे सूट भी पहन लेती थी,

उसी सूट में जब वो मुझसे मिलने आती 
तो मेरे सपनों की जैसे वो हकीकत बनकर आती,

जब वो कुछ देर ठहरती,
हर लम्हा ठहरता , सांसें थमती
हवाएं भी अपना रुख बदल लेती

और उसकी मुस्कुराहट ,
वो तो जैसे आंखों में छप सी जाती !

मेरी आँखें लड़खड़ा जाती थी,
मगर उसके कान की बालियां,
उसकी ज़ुल्फो के बीच फसी रह जाती,
और उन्हें देखने-देखने मे मेरी आँखें लड़खड़ा जाती ,

बेहद खुबसूरत होता है उसका ये अन्दाज़ भी,
जब वो मुझसे बात करती !

वो ना इधर देखती!
ना उधर देखती!

वो बस मेरी आंखों में
झांक कर जज़बात पड़ती,

ना लम्हा ज़ाया हुआ
ना कोई उलझन रही,

वो पास बैठी रही 
में उसे देखता रहा,

उन दो आंखों के बीच उस बिंदी को
संवारता रहा, निहारता गया।

बहुत कम वक्त में भी,
उसने मेरा पूरा साथ दिया, हाथो में अपना हाथ दिया

वो जाने वाली तो थी ,
मगर मेने हाथ पकड़ कर उसे बैठा दिया,

वो ऐसे रुक गई,
जैसे चाहती ही थी कि
में रोक लू ,
फिर से पास बैठा लू

कह भी दिया उसने कि

-" कसक सी मन में रह जाती,
  गर हक़ न जताते तुम !
तो ख्वाहिश अधूरी रह जाती
जो गर यूँ न हाथ थामते मेरा तुम "

अगर ऐसी बात कह दे कोई तुमसे
तो कैसे गहरी न हो मोहब्बत !

जैसे,
उसे मुझसे उम्मीद थी,
की में हाथ थाम लूंगा,
वेसे ही मुझे भी थी,
की वो जवाब गहरा देगी !

( आंखों के बीच की उस बिंदी को भूल गया क्या तुम्हारा शायर ? )*

अजीब बात है,
की आप सब ने भी याद नही दिलाया,
की बात उस बिंदी की करनी थी,
पर बिंदी वाली का ज़िक्र ज्यादा हुआ !

❝ जाने दो कोई बात नही,
वो बिना बिंदी के भी संवर जाती है !
बस बात इतनी है,
की वो अब मेरे बिना भी संवर जाती है !


This Poem is Originally Written by Wordz Of Shree 


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||Thanks For Reading||
Have a Good Life❤️
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