तुम जहा रहो ,
वहां का मुझे पता देना ,
चल , पता ना सही
तो उस शहर का नाम ही बता देना ,
कभी गुज़रू मुसाफिर बनके तेरे शहर से
तो अनजान न लगु ,
किसी गली में एक नज़्म , एक शेर लिखूंगा,
पढ़ कर फिर पूछना गलियो से ,
शायद कह दे गालिया ,
की आया था मुसाफिर बनके ,
कोई गहरी पहचान लेके ।
कोई गहरी पहचान लेके ।
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